निकालने से पहले ही पार्टी से निकल गये स्वामी प्रसाद, किया उपकार : मायावती

लखनऊ। बसपा प्रमुख मायावती ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य की बगावत के तत्काल बाद दावा किया कि परिवारवाद के मोह में फंसे स्वामी प्रसाद मौर्य को दो चार दिन में वह पार्टी से निकालने वाली थी। अच्छा हुआ वह खुद चले गये। मायावती ने कहा कि पुराने दलबदलू मौर्य ने बसपा छोड़कर पकार किया है। बुधवार को माल एवेन्यू स्थित अपने आवास पर मायावती पत्रकारों से बातचीत कर रही थीं। स्वामी प्रसाद द्वारा पैसे लेकर टिकट देने के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि वह बताएं कि न्हें और नके बेटा-बेटी को बसपा ने टिकट दिया तो कितना पैसा लिया। 
उन्होंने कहा कि बसपा से निकाले जाने वाले ज्यादातर लोग कुछ और नहीं मिल पाने पर दौलत की बेटी होने का इल्जाम लगाते हैं। मेरे मां-बाप ने मेरा नाम माया रखा और मेरे समाज के लोगों ने मुङो ‘माया’ की कमी नहीं होने दी है। स्वामी प्रसाद को अवसरवादी बताया और कहा कि वह लोकदल में मुलायम के साथ थे। जनता दल के साथ गये लेकिन कहीं सफलता नहीं मिली। सुरक्षित भविष्य के लिए बसपा में आए। न्हें टिकट दिया। चुनाव हार गए तो कुशीनगर से चुनाव लड़ाया। 2012 में बेटा-बेटी को भी टिकट दिया। फिर 2014 में बेटी को लोकसभा का टिकट दिया। इस बार भी वह अपने अलावा बेटा-बेटी के लिए टिकट मांग रहे थे लेकिन बसपा दोबारा यह गलती दोहराने को तैयार नहीं थी। कई बार चेतावनी के बाद भी मौर्य नहीं सुधरे। मैंने समझाया कि मान्यवर कांशीराम परिवारवाद के खिलाफ थे। 
तुम पार्टी लाइन पर चलो लेकिन नके बच्चे कंट्रोल में नहीं हैं। वह बच्चों के टिकट के लिए दबाव बनाने लगे तो मैंने कहा कि तुमने जरूर मुलायम का जूठन खाया है। जैसे मुलायम के परिवार में बच्चे और बच्चों के बच्चों का टिकट जब तय हो जाता है तब दूसरों की बात होती है वही स्थिति तुम्हारी है। इसी परंपरा के तहत वर्तमान मुख्यमंत्री को विरासत में कुर्सी मिल गयी। बसपा में तो ऐसा नहीं होने वाला है। बसपा मूवमेंट के जन्मदाता कांशीराम ने परिवारवाद के मोह से बचने के लिए आजीवन परिवार नहीं बसाने का प्रण किया और नके नक्शे कदम पर चलते हुए मैंने भी परिवार नहीं बसाया और न ही भाई-बहन को राजनीति में आने दिया। मुङो पता नहीं लेकिन मीडिया ने संकेत दिया है कि मौर्य सपा में जा रहे हैं तो सही जा रहे हैं। 
वही पार्टी है जो लड़का-लड़की और परिवारवाद को बढ़ावा दे सकती है। और यदि यह कांग्रेस में जाते हैं तो यह पार्टी भी परिवारवाद के हिसाब से इनके लिए फिट बैठेगी। और यदि भाजपा में शामिल होते हैं तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्या को अपना नेता मानकर कार्य करना होगा। उन्होंने फिर दोहराया कि दो-चार दिन में स्वामी प्रसाद को निकालने वाली थीं। जिन विधायकों को बाहर किया सब स्वामी की राह पर चल रहे थे। बनारस में उदयलाल मौर्या अपने भाई अनिल के टिकट के लिए दबाव बना रहे थे तो बाहर करना पड़ा। माया ने दावे के साथ कहा कि किसी भी विधायक ने बसपा नहीं छोड़ा बल्कि निकाला गया है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी की पत्नी और बेटे को टिकट मिलने के दाहरण के साथ जब पूछा गया कि क्या यह परिवारवाद नहीं है तो मायावती का कहना था कि जहां मजबूरी है या कमजोर कंडीडेट होते वहां रणनीति के तहत एमपी और एमएलए के परिवार को टिकट दिया जाता है।
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