यह तस्वीर है उत्तम प्रदेश की

‘‘जो नेता हैं, वो शासक नहीं
 जो शासक है वो नेता नहीं’’

‘‘अब तो नेता ऐसा लाया जाये,
 जिसको प्रदेश का शासक बनाया जाये,
 यह शासक हटाया जाये, नेता
 बनाने में समय न गंवाया जाये’’


    एक समय संयुक्त प्रांत कहा जाने वाला प्रदेश- उत्तर प्रदेश, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन का गवाह रहा है। शासन करने के लिये देश की आजादी के बाद कई सरकारें आई। इन सरकारों की विफलता के कारण विकास की दर कम रही। वर्तमान में समाजवादी विचारधारा की सोच वाली सरकार है, जिसके मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पुत्र नेता जी मुलायम सिंह यादव है। इससे पूर्व दलित समाज को लेकर सोशल इंजिनियरिंग के साथ राजनीति कर रही मायावती ने सरकार की बागडोर संभाली थी उससे पूर्व कॉग्रेस, भाजपा व बसपा, फिर भाजपा ने सत्ता का पोस्टमार्टम किया था।
    सूखे कुॅंए, सूखे तालाब, बेरोजगार चेहरे, बंद मिलें, आत्महत्या करते किसान, प्यासे खेत, अॅधरे में गॉव व कस्बे, टूटी सड़कें, बढ़ती महंगाई, गुंडों व माफियाओं का बोलबाला, खनन माफियाओं का साम्राज्य, यह तस्वीर है उत्तर प्रदेश की जो उत्तम प्रदेश सरकार द्वारा बताया जाता है। सवाल है प्रगति का, हर सरकार प्रगति का दावा करती है, जबकि प्रगति जन-जन के सहयोग से निरंतर होती रहती है। नेता जी मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश की राह से गुजरने के बाद उन्होंने 2012 में अपने पुत्र अखिलेश सिंह यादव को कमान सौंपी, पर सच यह था कि अखिलेश यादव को चाचा शिवपाल और चाचाजान आजम खॉं के बीच पाट दिया गया। काफी घुटन महसूस करने के बाद नेता बनने के लिये छंलाग लगाकर विद्रोह कर ख्ुाद निर्णय ले कार्य करने लगे। जिसका परिणाम यह हुआ कि खाई बढ़ती गई पर यह अखिलेश नेता तो बन गये लेकिन शासन ढीला हो गया और अंततः अनेक परिवारिक मतभेद उभरे, सपा सरकार के लिये सुशासन का दौर लाना दिन पर दिन कठिन होता गया। विकास के रथ पर सवार अखिलेश ने कई घोषणाएं की- मेट्रो, पेंशन योजना, पशुधन, बुन्देलखण्ड आदि पर मुजफ्फर नगर, शामली, केराना और मथुरा में दंगे, झगड़े, मारपीट, पलायन, डर, भय व दहशत ने सब गुड़-गोबर कर सब लीप दिया। मुजफ्फरपुर में सपा प्रमुख नेता आजम खॉं की भूमिका को लेकर सपा सवालों के घेरे में खड़ी दिखी। इसी से अखिलेश सरकार के सुशासन की कोशिशों को एक धक्का और लगा।
    अखिलेश नेता के सगे चाचा शिवपाल यादव जो सपा में वरिष्ठ नेता है, सातवीं कैबिनेट विस्तार के समय न मौजूद होना एक अर्न्तकलह की तरफ इशारा करता है। आपको बताते चलें मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का विलय सपा में होना लगभग तय था, लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी साफ छवि रखने के लिये इस गठबंधन को टॉय-टॉय फिस्स कर दिया। इसके प्रमुख सूत्रधार शिवपाल यादव को करारा झटका लगा। आपको यह जानकर हैरत होगी कि जिस दल से सपा गठबंधन की सोच रही थी वो पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी का था और उसके गैंग में जुर्म की दुनिया का बादशाह मुन्ना बजरंगी (प्रेम प्रकाश) निवासी जौनपुर भी शामिल रहा था। ऐसे में अखिलेश और शिवपाल में छत्तीस का आंकड़ा बन गया जो 2017 के चुनाव तक दिखेगा। सपा की लिस्ट में कई गुंडों व दबंगों की फौज है, कुंडा के विधायक राजा भैया, डी.पी. यादव, अतीक अहमद, चन्द्रपाल यादव और विरेन्द्र कुमार सिंह (पंडित सिंह), विजय मिश्रा, अभय सिंह आदि। सपा के मंत्रियों में लगभग 11 का अपराधिक रिकार्ड है। ऐसे में कानून के घेरे में खुद जब मंत्री फॅंसे हों तो वो कानून की रक्षा कैसे करेंगे। रही पुलिस-प्रशासन की बात, दोनों एक ही जाति यादव को देखकर कार्य कर रही है या फिर मुस्लिम वर्ग को। लोगों का कहना है कि उ0प्र0 पुलिस घूस लेकर एफ.आई.आर. दर्ज करती है, न अपराधियों को पकड़ने में दिलचस्पी दिखाती है। प्रदेश में अपराधियों का बोलबाला है। सपा सरकार मेें निर्दोश पत्रकारों व व्यापारियों का खूब दमन पुलिस द्वारा किया जा रहा है। पत्रकारों पर झूठे मुकदमें व व्यापारियों से उगाही की अनेक खबरें सुनने को मिलती हैं।
    आइये हम थोड़ा पीछे चलते है, 2007 विधान सभा चुनाव के बाद- सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय के सिद्धान्त वाली मायावती की सरकार थी। एक कड़क शासक, नेता कम वाली छवि देखने केा मिली। मायावती के कार्यकाल में शासन इतना दुरूस्त था कि अगर दरोगा ढीला पड़ जाता तो मायावती चुस्त हो उसे कड़क कर देती। मायावती के शासन काल में एक लाख कुख्यात अपराधियों के विरूद्ध कार्यवाही की गई। एन.एस.ए. व गैगस्टर एक्ट में बड़ी तादात में पेशेवर अपराधियों पर कड़ी कार्यवाही कर बन्द किया गया। पॉच लाख के इनामी अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। हजारों गुण्डों, बदमाशों और सफेदपोश अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे ढकेल दिया गया। बड़े पदों में बैठे रसूखदार लोगों ाके कानून का उल्लंघन करने पर कड़ा रूख अपनाकर जेल भेजा गया, चाहे वह मंत्री, सांसद या विधायक हो। कुख्यात अपराधियों की बेईमानी से कमाई गयी करीब 443 करोड़ की सम्पत्तियों को जब्त कर लिया गया। बसपा कार्यकाल में कुख्यात व भयंकर डकैतों के उन्मूलन अभियान में 1 से 5 लाख के इनामी डकैत ददुआ (शिव कुमार), ठोकिया (अम्बिका पटेल), मुसाफिर यादव, किट्टू गुप्ता आदि का सफाया किया गया।
    इसी कार्यकाल में आतंकवादी संगठन हूजी और खालिस्तान जिन्दाबाद फोर्स जैसे खतरनाक संगठनों की नाक में नकेल डालकर समाप्त किया गया और अर्न्तराष्ट्रीय अपराधी नूर बक्श, जोकि दाऊद गैंक का खास था, उसे भी मार गिराया गया। जंगलराज को खत्म करने के लिये 31,136 लोगों पर अपराधिक मुकदमें और 10,000 लोगों पर विशेष अभियान के अन्तर्गत केस दायर कर प्रदेश को भयमुक्त बनाया गया। मायावती के पिछले कार्यकाल में महिला थाना व महिला हेल्पलाइन समस्त प्रदेश में लागू की गयी थी। 2007 में ए.टी.एस. का गठन भी हुआ। मायावती द्वारा औचक निरीक्षण सभी 72 जनपदों के थानों में एक फरवरी से दो दो मार्च 2011 तक कर कुशल शासक होने का दावा ठोंका। पुलिस प्रशासन व कानून व्यवस्था बड़ी चुस्त-दुरूस्त रही।
    मायावती की कानून को लागू करने की काबिलियत व शासन चलाने की ख्ूाबी ने एक अच्छा शासक तो बनाया लेकिन एक बड़े दलित नेता के रूप में अपने आपको वह सिद्ध नहीं कर पायीं जैसे डा0 बाबा साहेब अम्बेडकर व कांशीराम ने अपने आप को स्थापित किया था।
    यदुवंशी परिवार सत्ता में काबिज हो अखिलेश को शासक बनाया लेकिन ऐसा शासन निकला जो जनता की कमर तोड़ी और निर्भय समाज न दे सका। पर नेता जी के पुत्र होने के नाते नेता तो बन गये। वही दलित वर्ग की अगुवाई कर रहीं मायावती आज नेता तो नहीं हैं पर एक कुशल शासक अपने शासनकाल में सिद्ध कर चुकी हैं। यह बात जनता के लिये वाकई तकलीफदेह है कि
जो नेता है वो शासक नहीं
जो शासक है वो नेता नहीं
‘‘आशा थी अखिलेश प्रदेश के घाव में मरहम लगाओगे,
 लेकिन तुमने तो ऐसा बनाया प्रदेश कि वो घाव बन गया नासूर’’

-अरुण सिंह चन्देल 

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तम्भकार है , भारतीय ग्रामीण पत्रकार संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी है)

यह तस्वीर है उत्तम प्रदेश की यह तस्वीर है उत्तम प्रदेश की Reviewed by rainbownewsexpress on 9:00:00 pm Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

Blogger द्वारा संचालित.