योगी नहीं
सन्त नहीं
लिप्साओं का
अन्त नहीं
चहुंओर मौत का ताण्डव,
दुर्योधन का वध कैसे
कोई नहीं है जब पाण्डव।
मौत के सन्नाटे में
कैसी आस
परिवर्तित हुआ जीवन परिदृश्य
वाह- कैसा है यह मंजर,
छाती, पीठ, पेट में
धंसे हुए खंजर।।
किसके हैं ये अस्त्र/शस्त्र
अपनों के और किसके?
**************
चुप हो जा-
जा पेट पर हाथ रखकर
सो जा।
माँ कहती है बच्चे से
जो भूख से बिलख रहा है
और निरावस्त्र है।
दरकार दो जून की रोटी
हे समाजसेवी-
मानवता के नाम पर
कुछ इमदाद कर दो
इनकी जठराग्नि को
शान्त कर दो।
इन्हें भी चाहत है
एक पूर्ण जीवन का।
इन्हें भी चाहत है
एक पूर्ण जीवन की।
इन्हें मत मानो गैर
भूखों की कोई जाति नहीं
मत करो इनसे बैर।।
इन्हें मानो अपना भाई
नाच गाने जैसे आयोजन
पेट नहीं भरा करते हैं
गरीब तो हर लय-ताल पर
तिल-तिलकर मरता है।
माना कि आयोजन गरीबी
उन्मूलन के लिए है
इस तरह के कार्यक्रम वर्षों से
चल रहे हैं।
अभी तक गरीब
पूर्ववत् ही चल रहे हैं।
क्यों कहते हो-
मेरा भारत महान
पूरा हिन्दुस्तान।।।
**************
कामना
समग्रता की
आपसी सौहार्द की
दूर हो-
वैर-भाव
मिटे कटुता
गिरे आंगन में
दरार डालने वाली दीवार
छटे दूरियाँ
बढ़ें नजदीकियाँ
विस्तृत हो अपनापन।
ऐसी महत्वाकांक्षा नहीं
जिसमें दरकार हों
ढेर सारी भौतिक वस्तुएँ
जिन्हें पाने लिए
भाई-भाई को जुदा
होना पड़ता है।
आओ-
मिलकर बहार बांटे
प्यार उड़ेल दे।
भारत महाने है
और
भारतवासी महानतम्
मजहब नहीं सिखाता
आपस में बैर रखना
इस सूक्ति को
हम सबको याद रखना
कामना है-
सोना उगलने वाली इस
देश की महान धरती
हमारे लहू से रक्तरंजित
न हो।।।
-डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी
Mob. 9454908400
सन्त नहीं
लिप्साओं का
अन्त नहीं
चहुंओर मौत का ताण्डव,
दुर्योधन का वध कैसे
कोई नहीं है जब पाण्डव।
मौत के सन्नाटे में
कैसी आस
परिवर्तित हुआ जीवन परिदृश्य
वाह- कैसा है यह मंजर,
छाती, पीठ, पेट में
धंसे हुए खंजर।।
किसके हैं ये अस्त्र/शस्त्र
अपनों के और किसके?
**************
चुप हो जा-
जा पेट पर हाथ रखकर
सो जा।
माँ कहती है बच्चे से
जो भूख से बिलख रहा है
और निरावस्त्र है।
दरकार दो जून की रोटी
हे समाजसेवी-
मानवता के नाम पर
कुछ इमदाद कर दो
इनकी जठराग्नि को
शान्त कर दो।
इन्हें भी चाहत है
एक पूर्ण जीवन का।
इन्हें भी चाहत है
एक पूर्ण जीवन की।
इन्हें मत मानो गैर
भूखों की कोई जाति नहीं
मत करो इनसे बैर।।
इन्हें मानो अपना भाई
नाच गाने जैसे आयोजन
पेट नहीं भरा करते हैं
गरीब तो हर लय-ताल पर
तिल-तिलकर मरता है।
माना कि आयोजन गरीबी
उन्मूलन के लिए है
इस तरह के कार्यक्रम वर्षों से
चल रहे हैं।
अभी तक गरीब
पूर्ववत् ही चल रहे हैं।
क्यों कहते हो-
मेरा भारत महान
पूरा हिन्दुस्तान।।।
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कामना
समग्रता की
आपसी सौहार्द की
दूर हो-
वैर-भाव
मिटे कटुता
गिरे आंगन में
दरार डालने वाली दीवार
छटे दूरियाँ
बढ़ें नजदीकियाँ
विस्तृत हो अपनापन।
ऐसी महत्वाकांक्षा नहीं
जिसमें दरकार हों
ढेर सारी भौतिक वस्तुएँ
जिन्हें पाने लिए
भाई-भाई को जुदा
होना पड़ता है।
आओ-
मिलकर बहार बांटे
प्यार उड़ेल दे।
भारत महाने है
और
भारतवासी महानतम्
मजहब नहीं सिखाता
आपस में बैर रखना
इस सूक्ति को
हम सबको याद रखना
कामना है-
सोना उगलने वाली इस
देश की महान धरती
हमारे लहू से रक्तरंजित
न हो।।।
-डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी
Mob. 9454908400
जलता हिन्दुस्तान
Reviewed by rainbownewsexpress
on
5:03:00 pm
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