-डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी/ आप के शहर में पर्यावरण संतुलन बनाने में सभी पशुओं/जानवरों का योगदान होगा, होना भी चाहिए। यदि पशु/जानवर, पेड़, पौधे, पक्षी आदि न रहें तो जीवन चक्र ही नहीं चल पाएगा। इस लिए मानव जीवन के लिए इन सभी का योगदान सराहनीय ही नहीं अपितु उपयोगी भी है। हमारे शहर में भी कुछ इसी तरह का ही है। हमारे यहाँ जानवर/पशु पक्षी निर्बाध रूप से स्वच्छन्द घूम टहल कर पर्यावरण संतुलन बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं। आवारा पशु तो खुले रूप से घूमते ही हैं, बन्दरों ने भी उत्पात मचाना जारी रखा है। चूहे व छोटे बड़े जानवर भरपूर सहयोग दे रहे हैं। कभी-कभी दुःख होता है, जब इन जानवरों को मनुष्य अपना दुश्मन समझकर मार डालने की योजना बनाते हैं।
हमारे शहर के लोग आवारा पशुओं से परेशान होते हैं। इनको चूहों से भी परेशानी होती है। कहते हैं कि ये पशु/जानवर छति पहुँचा रहे हैं। आवारा जानवरों को डण्डों से मारते हैं और चूहे मार दवा खिलाकर चूहों का सफाया कर रहे हैं। बहुत से भले लोग पर्यावरण संतुलन का महत्व समझ बैठे हैं इसलिए घरों में पेड़ पौधों और जानवर पाल रखे हैं। लोग इसे अपना बड़प्पन और शौक मानते हैं। हम तो बन्दर भी पाल रखे हैं। हमारे शहर के पाश इलाकों में (वी.आई.पी. क्षेत्रों में) स्वामीभक्त कुत्तों की भी कमी नहीं है। हालांकि कुत्ता ही फेथफुल होता है और आंग्लभाषा के इस शब्द का अर्थ ही स्वामीभक्त होता है, लेकिन- हमारे कहने का मतलब यह है कि इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग अपने पेट्स (कुत्तों) के प्रति इतना लगाव रखते हैं कि उन्होंने स्वयं कुत्तों की जगह ले लिया है, और वे खुद कुत्तों के स्वामी भक्त बन गये हैं।
ये लोग अपने-अपने पालतू कुत्तों को (स्वच्छन्द) छूट देकर दुखद स्थिति पैदा करते हैं। इनके पालतू कुत्ते भौंकते हैं, काटते नहीं। आप को देखकर दौड़ाएँेगे/भौंकेंगे लेकिन डरियेगा मत। आइए हमारे शहर में इन विशिष्ट इलाकों में पहुँचते ही ये कुत्ते भौंक-भौंक कर आपका खैरमखदम करेंगे। पहले आपको डरना पड़ेगा, लेकिन बाद में ये स्वामीभक्त कुत्ते आपको गन्तव्य का रास्ता भी दिखाएँगे। यहाँ बता दूँ कि ठीक इसी तरह इनके पिल्ले भी करते हैं। आप जरा भी मत डरें, हमारे शहर के इन कुत्तों और इनके पिल्लों से। हमारे शहर के सभी जानवर उपयोगी हैं। गाय, बैल, चूहा, बन्दर, भेंड़, बकरी। लेकिन सबसे उपयोगी कुत्ते हैं जो पर्यावरण संतुलन बनाने में घर की रखवाली करने व आपको गंतव्य तक पहुँचाने में मदद करते हैं। बड़े अच्छे हैं ये कुत्ते कृपया इन्हें मत मारिए और डरिए भी नहीं।
हमारे शहर के लोग आवारा पशुओं से परेशान होते हैं। इनको चूहों से भी परेशानी होती है। कहते हैं कि ये पशु/जानवर छति पहुँचा रहे हैं। आवारा जानवरों को डण्डों से मारते हैं और चूहे मार दवा खिलाकर चूहों का सफाया कर रहे हैं। बहुत से भले लोग पर्यावरण संतुलन का महत्व समझ बैठे हैं इसलिए घरों में पेड़ पौधों और जानवर पाल रखे हैं। लोग इसे अपना बड़प्पन और शौक मानते हैं। हम तो बन्दर भी पाल रखे हैं। हमारे शहर के पाश इलाकों में (वी.आई.पी. क्षेत्रों में) स्वामीभक्त कुत्तों की भी कमी नहीं है। हालांकि कुत्ता ही फेथफुल होता है और आंग्लभाषा के इस शब्द का अर्थ ही स्वामीभक्त होता है, लेकिन- हमारे कहने का मतलब यह है कि इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग अपने पेट्स (कुत्तों) के प्रति इतना लगाव रखते हैं कि उन्होंने स्वयं कुत्तों की जगह ले लिया है, और वे खुद कुत्तों के स्वामी भक्त बन गये हैं।
ये लोग अपने-अपने पालतू कुत्तों को (स्वच्छन्द) छूट देकर दुखद स्थिति पैदा करते हैं। इनके पालतू कुत्ते भौंकते हैं, काटते नहीं। आप को देखकर दौड़ाएँेगे/भौंकेंगे लेकिन डरियेगा मत। आइए हमारे शहर में इन विशिष्ट इलाकों में पहुँचते ही ये कुत्ते भौंक-भौंक कर आपका खैरमखदम करेंगे। पहले आपको डरना पड़ेगा, लेकिन बाद में ये स्वामीभक्त कुत्ते आपको गन्तव्य का रास्ता भी दिखाएँगे। यहाँ बता दूँ कि ठीक इसी तरह इनके पिल्ले भी करते हैं। आप जरा भी मत डरें, हमारे शहर के इन कुत्तों और इनके पिल्लों से। हमारे शहर के सभी जानवर उपयोगी हैं। गाय, बैल, चूहा, बन्दर, भेंड़, बकरी। लेकिन सबसे उपयोगी कुत्ते हैं जो पर्यावरण संतुलन बनाने में घर की रखवाली करने व आपको गंतव्य तक पहुँचाने में मदद करते हैं। बड़े अच्छे हैं ये कुत्ते कृपया इन्हें मत मारिए और डरिए भी नहीं।
-डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी
व्यंग्य : बड़े उपयोगी हैं हमारे शहर के कुत्ते और उनके पिल्ले जो......
Reviewed by rainbownewsexpress
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3:43:00 pm
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