रायबरेली। चर्चित कवि, संपादक, आलोचक रमाकांत के सद्यः प्रकाशित ग़ज़ल संग्रह ‘रोशनी है मगर अंधेरा है’ का भव्य लोकार्पण सदर तहसील के लेखपालसंघ सभागार में रविवार, मार्च 28, 2016 को संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ सुप्रसिद्ध शायर नाज़ प्रतापगढ़ी, प्रबुद्ध साहित्यकार रामनारायण रमण, वयोवृद्ध संत स्वामी गीतानंद एवं युवा साहित्यकार डॉ अवनीश सिंह चौहान द्वारा माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्पण से हुआ।
चर्चित गीतकार डॉ विनय भदौरिया ने रमाकांत के ग़ज़ल संग्रह का शीर्षक आध्यात्मिक चिंतन से लबरेज बताया। प्रिय शायर शमसुद्दीन अजहर ने रमाकांत जी को सशक्त ग़ज़लकार मानते हुए कहा कि उनकी गजलों का शिल्प और कथ्य समकालीन है। इप्टा के संतोष डे ने कहा कि रमाकांत अपनी ग़ज़लों में मकसद खोजते है और यह मकसद उन्हें अंदाज़-ए-बयाँ का हुनर प्रदान करता है।
कृतिकार रमाकांत ने अपनी सृजनयात्रा के उद्देश्य को बड़ी सहजता से स्पष्ट करते हुए कहा कि मेरी गज़लें आम आदमी के सरोकारों को व्यंजित करती हैं- 'जाना चारों धाम व्यर्थ है / है ही चारों धाम आदमी' और 'आदमीयत है तो आदमी है / आदमी से कहा आदमी ने।' तदुपरांत उन्होंने अपनी दो ग़ज़लों का तरन्नुम में पाठ किया, जिसे सुन श्रोता भाव-विभोर हो गए।
इस अवसर पर राजाराम भारती, राम निवास पंथी, राजेश चंद्रा, प्रमोद प्रखर, राधेरमण त्रिपाठी, रामबाबू रस्तोगी, राजेन्द्र यादव, दुर्गाशंकर वर्मा, राममिलन, हरिकेश, शैलेश, राघवेन्द्र, अरविंद द्विवेदी, विनोद सिंह, राम सिंह, कामिल नज़र, राम सेवक सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार, शिक्षक, प्रबुद्धजन आदि उपस्थित रहे। मंच का सफल सञ्चालन चर्चित साहित्यकार जय चक्रवर्ती ने एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक प्रमोद प्रखर ने किया।
इस अवसर पर राजाराम भारती, राम निवास पंथी, राजेश चंद्रा, प्रमोद प्रखर, राधेरमण त्रिपाठी, रामबाबू रस्तोगी, राजेन्द्र यादव, दुर्गाशंकर वर्मा, राममिलन, हरिकेश, शैलेश, राघवेन्द्र, अरविंद द्विवेदी, विनोद सिंह, राम सिंह, कामिल नज़र, राम सेवक सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार, शिक्षक, प्रबुद्धजन आदि उपस्थित रहे। मंच का सफल सञ्चालन चर्चित साहित्यकार जय चक्रवर्ती ने एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक प्रमोद प्रखर ने किया।
‘रोशनी है मगर अंधेरा है’ का भव्य लोकार्पण
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12:56:00 pm
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