भारतीय मुसलमान:वतनपरस्त या बुतपरस्त

-संजय कुमार आज़ाद/ भारत के सरजमीं पर अपने आप को इस्लाम का सबसे बड़ा अध्यन केंद्र मानने वाली इस्लामी संस्था दारुल-उरुल देवबंद के एक फिरकापरस्त मौलवी ने मुसलमानों के लिए एक फतवा ज़ारी किया है.इस फतवे के अनुसार भारत के मुसलमानों को “भारत माता की जय” नही बोलना चाहिए.उस मौलवी के अनुसार “भारत माता की जय”कहना हराम है क्योंकि हिन्दू भारत माता की पूजा करते है.इस फतवे को देखकर तो ऐसा लगता है की दारुल-उरुल देवबंद इस्लामी शिक्षण संस्थान में फिरकापरस्त तबको का अड्डा है जो मत की आड़ में देश के साथ गद्दारी करने का भाव पैदा करता है.ऐसे संस्था जहां देश के लिए घातक है वहीँ उस समाज के लिए भी नासूर होते है.
अभी-अभी भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी उस मुस्लिम राज्य के सरकारी दौरे पर थे जिसकी जूठन पाने के लिए भारत के देवबंदी जैसे ज़मातों के लोग लालयित रहते है.वहाँ भारत के वज़ीरेआजम की जो खैरमकदम हुई,उससे भारत के इन ज़मातों और छद्म सेकुलर गिरोहों में अजव बेचैनी छा गयी है.एक तो मुस्लिम राज्य, उस पर मुस्लिम महिलाओं के बीच और वह भी श्री नरेन्द्र मोदी जी के साथ और नारा क्या लगा तो-“भारत माता की जय”.यदि यह नारा भारत में किसी मुस्लिम महिलाओं के मजलिस में लगी होती तो आज देश में कोहराम मचता?
किन्तु भारत से हज़ारों मिल दूर जिस पाक ज़मीन का सिजदा करना विश्व के हर मुसलमान की आखिरी तमन्ना होती है उस पाक ज़मीन पर “भारत माता की जय” का उद्घोष हुआ.क्या उस जलसे में उपस्थित सारी महिलायें काफिर हो गयी? प्रोफेट मोहम्मद साहब के पौत्र हजरत इमाम सज्जाद अल्लह-सलाम ने धरती को माँ मान, इसके संरक्षण की बात की थी? इतना ही नही भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के समय मौलवी अमानुल्लाह खां उस समय के राजे रजवाड़े को अंग्रेजो के खिलाफ और बहादुर शाह ज़फर के साथ इसी भारत माता की जय के उद्घोष के साथ लड़ने को तैयार कर रहे थे.फिर ये देवबंदी सऊदी अरव, प्रोफेट मोहम्मद साहब के पौत्र हजरत इमाम सज्जाद अल्लह-सलाम या मौलवी अमानुल्लाह खां को भी काफिर घोषित करने का माद्दा रखता है?
दीनी तालीम को सियासी तकरीर की चाशनी में लपेट ये देवबंदी ऐसे गैर इस्लामी फतवों के सहारे मुसलमानों को आतंक के राह में धकेल रहा है?देवबंदी जैसे कट्टरपंथी संगठनो जिसे भारत में छद्म सेकुलर राजनीति गिरोहों का वरदहस्त प्राप्त होता है इस तरह की अराष्ट्रीय कुकृत्य कर लोकतंत्र के ताना-वाना को छिन्न-भिन्न करना चाहती है.21वीं सदी का भारत को आज भी ये कट्टरपंथी छद्म सेकुलर राजनीति गिरोहों के सहारे मुस्लिम समाज को उस ज़ाहिलिया युग में ले जाने का जो ख्वाव पाले है वह अब असम्भव है?इस्लाम के ताने वाने को ये कट्टरपंथी अपने रूप में बुनकर समाज को बाहर की दुनिया से काटने का जो कुत्सित प्रयास किया है उसका मुंहतोड़ जबाव अब उसी मुस्लिम समाज के लोग इन कट्टरपंथी जमातो को दे रही है.
एक समय था जब भारत को इस्लामी देश पाकिस्तान के चश्मे से देखता था किन्तु अब बह समय गया.आज इस्लाम का पवित्र राज्य सऊदी अरब सहित अनेक शांतिप्रिय मुस्लिम राज्य और भारत के रिश्ते में जो गर्माहट है वह भारत के कट्टरपंथी ज़मातों और छद्म सेकुलरों के गिरोहों के नापाक मंसूबो को गलाने के लिए पर्याप्त है.जिस सऊदी खैरात पर भारत में ये मुस्लिम कट्टरपंथी अपने आपको पाल रहा था अब उस खैरातों की रोक इन ज़मातों की तिलमिलाहट का मुख्य कारण है.आज के भारतीय मुस्लिम युवा इन कट्टरपंथीओ के झांसे आने के बजाय देश के विकास को अपना राजधर्म चुन रहा है.आज जो ज़मात भारतीय मुसलमानों की वतनपरस्ती को बुतपरस्ती के चश्मे से देख रहा वह भारत के लिए खतरनाक है.ऐसे फतवे ज़ारी करने वाले ना तो वतनपरस्त हो सकता है ना ही दीन-पनाह.
कभी वंदेमातरम् को लेकर, तो कभी भारत माता की जय के नाम पर, अपनी दीनीदूकान चलाने वाले अपने घृणित मनसूबो में सफल नही हो पा रहे है तो इसका मुख्य श्रेय भारत के देशभक्त मुसलमानों का है. जो वतन की सिजदा को वतनपरस्ती मानता और जानता है.इन कठमुल्लों और छद्म सेकुलर राजनीति दलों के कपोलकल्पित नारों और बुतपरस्ती के सिगुफा को देशभक्त मुसलमान सिरे से खारिज करता रहा है. आजादी के पूर्व जिन्ना और नेहरु की जिद से पीड़ित भारत का समाज अब इनके झांसे में आने बाला नही की भारत माता की जय कहना बुतपरस्ती है या वतनपरस्ती. भारत माता की जय तो इन देशभक्त मुसलमानों की रगों में दौड़ रहा है और इस भारत माता से वे वेपनाह मुहब्बत करते है और यही मोहब्बत भारत में ही विदेशी टुकड़ों पर पलने बाले लोगो को रास नही आ रही तो दीन की आड़ में फतवे ज़ारी कर इनके वतनपरस्ती को बुतपरस्ती कह इस्लाम की तौहीन कर रहा है. 
-संजय कुमार आज़ाद
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