भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जायेगा सरोगेसी कारोबार

अवैध सरोगेट मॉं, मुॅंह मांगी कीमत

किराये की कोख, खतरनाक है रोक

मोदी राज्य में किराये की कोख मॅहंगी और भ्रष्ट होगी

-अरूण सिंह चन्देल/ देश की आजादी के बाद कई परिवर्तन हुए, उन परिवर्तनों का समाज में क्या फर्क पड़ा? समय-समय पर बुद्धिजीवियों, सरकारी तन्त्र और मीडिया ने तराजू में तौल कर सही और गलत का आंकलन करने की कोशिश की। कई बार यह आंकलन सही और कई बार गलत साबित हुआ। आज भारत देश में पिछले कई वर्षों से सरोगेसी कारोबार को लेकर चर्चा और चिंता चल रही थी। इस पर अल्प विराम लगाने की एक कोशिश मोदी सरकार ने श्सरोगेसी (नियमन) विधेयक 2016श् मंत्रिमंडल में पास कर की है। यह बात सच है कि इस वक्त इसका लाया जाना जरूरी था, पर जिस रूप में लाया गया वह इस सरोगेसी कारोबार को और
वीभत्स कर देगा।

सरोगेसी कारोबार

सरोगेसी का भारत में बहुत बड़ा कारेाबार है। ज्यादातर प्रतिबंधित देशों के लोग बड़ी तादात में आते हैं, गुजरात, महाराष्ट्र व दिल्ली आदि राज्यों में सबसे ज्यादा सरोगेट बच्चों का जन्म होता है। अनुमान है कि लगभग 40000 से 45000 सरोगेट बच्चों का जन्म पिछले दस वर्षो में हुआ होगा। इसका मुख्य कारण है कि यह किराये की कोख का ‘‘किराया’’ विदेशों की तुलना में काफी कम है। मुख्य रूप से अमेरिका, इंग्लैण्ड और इजरायल आदि देशों के दम्पति अधिक संख्या में भारत देश को ही विकल्प के रूप में चुनते है। विदेशों में अगर सरोगेट बच्चे का कम से कम खर्चा एक लाख से डेढ़ लाख डालर आता है और भारत में यही 17000 से 18000 डालर आता है और कोख किराये में देने वाली महिला को 10000 से 50000 डालर तक दिये जाते हैं। इस नये विधेयक से देश में इसी सरोगेट बच्चों के लिए चोरी छुपे अब 1,00,000 डालर तक वसूले जायेंगे। भ्रष्टाचार भी चरम सीमा में पनपेगा। नये सरोगेट माफियाओं का जन्म होगा, रैकेटों और नये गैंग सक्रिय होंगे। आज भी ऐसी एजेन्सियां हैं जो इस कार्य को भरपूर फायदे का धन्धा बनाये हुए है। इस देश में लगभग दो से ढाई हजार सरोगेसी कारोबार से जुड़ी दुकानें है। अगर हम 2012 यू.एन. की रिपोर्ट पर गौर करें तो भरत देश में कुल सरोगेसी कारोबार लगभग 40 करोड अमेरिकी डालर का हुआ है। यह अनुमान है कि 2016 तक बढ़कर 60 से 80 करोड़ अमेरिकी डालर का हो सकता था। पर इस तरह का कानून बन जाने से यह वैध रूप से कम पर अवैध रूप से इससे भी अधिक होगा। देश में गरीब महिलाओं का शोषण सरोगेट मॉं बनने के समय होता है। उनको मिलने वाला पैसा बिचौलिये खा जाते है। बच्चा जन्मने के बाद पूर्ण खुराक व दवाओं की कमी से औरतें काफी कमजोर हो जाती हैं, कई तो मौत का शिकार भी हो जाती हैं। इन औरतों का मौलिक अधिकारों का हनन व स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही काफी गंभीर विषय है। आदिवासी और गॉंव क्षेत्र में किराये की कोख के लालच में महिलाओं का अराजक तत्वों ने शारीरिक शोषण किया, दलालों ने इसे मुनाफे का धंधा बनाकर अपना जाल देश से विदेश तक फैला रखा है। यह बात मानने की है कि देश में बेहतर चिकित्सा व इलाज अपेक्षाकृत सस्ती किराये की कोख उपलब्ध है। इसलिये विदेशियों का रूझान बना हुआ है। एजेन्सियां बताती है कि दुनिया भर में लगभग पांच से छह करोड़ निःसंतान दंपति है। समलैंगिक व लिव इन रिलेशन वाले भी सरोगेट बच्चे की ललक रखते है और इनका एक बड़ा तबका भी इस तरफ झुकाव बना चुका है।

सरोगेट सेलेब्रेटी

सेलेब्रेटियों ने सरोगेट तकनीक अपना कर सरोगेट पिता व माता बनने का सुख प्राप्त कर नई पहल करी। लोगों को एक रास्ता चुनने का विकल्प खोला। कपूर खानदान से तुषार कपूर पहले अविवाहित सरोगेट पिता बने। प्रकाश झा ने उन्हें प्रेरित किया और नई सोच डाली। 45 वर्ष में आमिर खान 5 दिसम्बर 2011 को आजाद खान सरोगेट बच्चे के साथ सरोगेट पिता बने और किरण राय सरोगेट माता। 47 वर्ष की उम्र में शाहरूख खान, अब्राहम के सरोगेट पिता बने जबकि पहले पत्नी से दो बच्चे थे। 11 फरवरी 2000 को कोरियोग्राफर फराह खान व उनके पति शिरीष कुन्दर ने सरोगेट तीन जुड़वां बच्चों के माता-पिता बने। दो वर्ष इंतजार के बाद यह आई.वी.एफ. पद्वति से ख्ुाशी मिली। इसी तरह अन्य अनेक सेलेब्रेटियों ने इस पद्वति को सराहा और रास्ता चुना। इनका हल्ला व रूझान समाज में तेजी से चर्चा का विषय बना। कई सेलेब्रेटियों ने दर्द से मुक्ति के लिए सरोगेट मॉं का चयन भरपूर पैसा देकर किया जो गलत दिशा की तरफ कदम था। तब सरकार के कान खड़े हुए। कानून बनाने पर जोर शुरू हुआ पर पहले गाइड लाइन्स दी गई। पर स्थिति की गंभीरता को देखते हुए इस वर्ष सरकार ने सरोगेसी (नियमन) विधेयक 2016 में लाने को कमर कसी और मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में पास किया। 

क्या है विधेयक

इस विधेयक के अनुसार भारतीय कानूनी विधिक विवाहित जोड़े जो 5 वर्ष तक शादी-शुदा जीवन बिता चुके हों, जिनके बच्चे न हो वो सरोगेट माता-पिता बन सकते हैं, या किसी करीबी निःसंतान दम्पति को किराये की कोख दे सकते है। जो अकेले रहते हैं, चाहे आदमी हो या औरत वो सरोगेट माता या पिता नहीं बन सकते। पूर्णतः अवैध माना जायेगा। इसी तरह समलैंगिक व लिव इन रिलेशन वाले जोड़े भी इस पद्वति का लाभ नहीं उठा पायेंगे। इन पर रोक लगा दी गई है। अगर इसका कोई उल्लंघन करता है तो 10 साल का कारावास व दस लाख रूपये जुर्माना भरना पड़ेगा। सरोगेसी कारोबार को पूर्णतः बंद करने को कहा गया है। सभी विदेशी लोगों को सरोगेट मॉं अर्थात किराये की कोख पर रोक लगा दी है। अगर शादीशुदा जोड़ा सरोगेट बच्चा चाहता है तो औरत की उम्र 23 से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिये और उसके पति की 26 से 55 वर्ष की। सरोगेट बच्चे को सभी कानूनी अधिकार उसी तरह होंगे जैसे जैविक और गोद लिये बच्चों के होते है। जो औरत किराये की कोख देगी वो सरोगेट बच्चा लेने वाली की करीबी रिश्तेदार हेागी। इसके लिए राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड का गठन किया जायेगा। यह सरोगेट अपराध को रोकने में मदद करेगा। जो सरोगेसी क्लीनिक होंगे वो 25 वर्ष तक दस्तावेज व रिकार्ड रखेंगे, मॉंगने पर उपलब्ध करायेगे। औरतों को प्रमाण पत्र लाना होगा की वह  पूर्ण रूप से स्वस्थ है सरोगेट मॉं बनने के लिए। इससे कमजोर औरतों का शोषण नहीं होगा। 10 माह के अन्दर दोनों सदनों से पास कराकर यह कानूनी रूप से लागू हो जायेगा। 

बिल में खामियां

यह बिल आज की जरूरत है, लेकिन इस बिल में अनेक खामियां हैं जो इससे जुड़े डाक्टरों, अस्पतालों, क्लीनिक हेड व बुद्धिजीवियों को विरोध व मंथन करने पर मजबूर करती है। सबसे पहले सरोगेट माता-पिता वो जोड़ा नहीं बन पायेगा जिसको एक जैविक या गोद लिये एक या उससे अधिक बच्चे है। कोई भी विदेशी, एन.आर.आई., ओवरसीज सिटीजन (कार्ड-धारक), समलैंगिक व लिव इन रिलेशनशिप पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। 
सरोगेट माता वो औरत बन सकती है जो शादीशुदा हो, जिसका एक बच्चा हो। उपरोक्त बातें उन लोगों को अधिकार से वंचित करती है जिन्हें वास्तव में बच्चों की जरूरत है। आज समलैंगिक को बुरी नजर से नहीं देखा जाता है, ऐसे ही लिव इन रिलेशनशिप वालों को भी पूर्ण अधिकार मिलना चाहिये। अगर वो चाहते हैं कि वो भी बच्चे के मॉं-बाप बनें तो उनको इस कानून के द्वारा रोका जाना अनुचित है। हम सब जानते हैं कि समलैंगिक व लिव इन रिलेशनशिप हमारे देश में कानूनी रूप से मान्य नहीं हैं। अगर महिला विधवा है और अकेली है, वो कई साल से बच्चे की चाहत रखती है तो उसको सरोगेट माता बनने से नहीं रोकना चाहिये। अगर विधवा अपनी कोख किराये में देना चाहती है तो उसे भी मौका मिलना चाहिये कि वो अपने जीविकापार्जन के लिए सरोगेट मॉं बन सके। विदेशियों से होने वाली आमदनी को बन्द कर देना, इस कानून की एक और खामी है। हॉं जो गरीब महिलाओं का शोषण होता था, उस पर निगरानी रखने के लिए प्रावधान किये जाने चाहिये न कि पूर्ण रोक लगा कर इस नये विचार को दफना देने से उपचार नहीं होगा। कई कानूनी पेंच इसमें भ्रष्टाचार ला देंगे। जैसे प्रत्येक क्लीनिक को 25 वर्षों तक रिकार्ड रखना पड़ेगा। मतलब अब अवैध रूप से केस होंगे, रिकार्ड दिखाने के लिए कुछ कानूनी सरोगेट केस किये जायेंगे। यही सब भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा। 
अनेक सरोगेसी कारोबारियों को इस बिल से झटका तो लगा है। अब पैसे देकर किराये की कोख नहीं मिलेगी। कारोबारी सरोगेसी पर पूरी रोक लगने से सरोगेट मॉं, सरोगेट दलालों व इससे जुड़े लोगों का रेट महॅंगा हो जायेगा। चोरी छुपे यह धन्धा दिन दूना रात चौगुना पनपेगा। सरकार आगे क्या सुधार करती है यह देखना है। जो हालात विधेयक से बने हैं वो विदेशी लोगों को अब और पैसा खर्च करने पर मजबूर करेंगे। ये भारत के आस-पास सरोगेट मॉं को मुॅंहमांगा दाम देकर ले जायेंगे और सरोगेट बच्चे के माता-पिता बन जायेंगे। दलालों के पौ-बारह, माफियाओं की पॉचों उंगली घी में रहेंगी। सरकार का काम विधेयक लाना था, खामियां देखना नहीं, सो विधेयक ले आई, बाकी पचड़ों से हाथ झाड़ लिया।  

-अरूण सिंह चन्देल

www.rainbownews.in 

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जायेगा सरोगेसी कारोबार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जायेगा सरोगेसी कारोबार Reviewed by rainbownewsexpress on 12:48:00 pm Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

Blogger द्वारा संचालित.