देश में मूलभूत सुविधाओं के लिए जद्दोजेहद करने वालों के हालात दिन पर दिन बद से बद्तर होते जा रहे हैं। सरकार की योजनाओं का लाभ पात्रों से कहीं अधिक अपात्रों के खातों में पहुंच रहा है। गरीबों के लिए सस्ते मूल्य की सामग्री पर खुले आम डाका डाला जा रहा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के आखिरी छोर पर बैठे ठेकेदारों के मनमाने रवैये से त्रस्त हितग्राहियों की गुहार नक्कारखाने में तूती बनकर रह गयी है। अनुदानित सामग्री को व्यवसायियों के गोदाम तक पहुंचाने वाले चांदी की गद्दी पर बैठकर अपनी तानाशाही की परचम फहरा रहे है। असामाजिक तत्वों की दम पर असहायों की जुबान पर ताला लगाया जा रहा है।
गरीबों के चूल्हों तक पहुंचने वाला राशन, तेल आदि बाजार की दुकानों मे सजने लगा है। बिल, रसीद और कैशमेमो के बिना बिकने वाली सामग्री के साथ निर्धनों का हक भी व्यापारी की तराजू पर चढ रहा है। योजना के सफल क्रियांवयन के लिए उत्तरदायी विभाग कुम्भकरणी नींद में सो रहा है। उचित मूल्य की दुकानों को सहकारी समितियों, स्वयं सेवी संस्थाओं और समाज समर्पित इकाइयों के नियंत्रण में देकर सरकारी मंशा की शतप्रतिशत पूर्ति के आंकडों को मासिक आख्या में रेखांकित करने का क्रम चल निकला है। वास्तविता की दर्द भरी चीखों पर कागजी उपलब्धियों के कीर्तिमान भारी पड रहे हैं। गरीबों के थैले हर बार खाली ही वापिस लौट आते हैं।
उठान नहीं हुई, माल नहीं आया, आयेगा तब मिलेगा, आवंटन ही नहीं हुआ, जैसे सामान्य उत्तरों की रटी रटायी भाषा बोलने वाले वितरण केन्द्रों पर नियम, कानून और व्यवस्था की दुहाई देने पर अपमानित करने से लेकर सबक सिखाने तक के पूरे इंतजाम रहते हैं जिनका उपयोग संचालकों द्वारा तत्काल किया जाता है ताकि अन्य हितग्राहियों पर भी दबाव बना रहे। इन अनियमितताओं की शिकायत लेकर जाने वालों को संबंधित विभाग के अधिकारी न केवल उपेक्षित करते हैं बल्कि उन्हें प्रताडित करने के लिए वातावरण का निर्माण भी करने लगते हैं ताकि नीचे से ऊपर चलने वाली व्यक्तिगत हितों की एक्सप्रेस में चेन पुलिंग न हो सके। फिलहाल इतना ही, नवप्रभात पर रेखाकिंत किये जाने योग्य एक नये मुद्दे के साथ फिर मिलेंगे। तब तक के लिए अनुमति दीजिये।
-रवीन्द्र अरजरिया
रोकना होगी अनुदानित सामग्री की खुले बाजार में बिक्री
Reviewed by rainbownewsexpress
on
1:13:00 pm
Rating:
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें