हिन्दू आतंकवाद के जनक दिग्विजय सिंह, शरद पवार और हेमंत करकरे : डॉ0 संतोष राय
कांग्रेस और उसके टुकड़ों पर पड़ने वाले कुछ अति-सिकुलर पुलिस अधिकारियों ने हिन्दू आतंकवाद या भगवा आतंकवाद के नाम का आविष्कार किया और उक्त अधिकारियों में श्री हेमन्त करकरे प्रमुख थे । हिन्दू या भगवा आतंकवाद को महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित मालेगांव में 29 सितंबर 2008 में हुए बम्ब धमाके से जोड़ा जाता है ।
इससे पहले 8 सितंबर, 2006 को मालेगांव में 4 ब्लास्ट हुए थे। इनमें तीन हमीदिया मस्जिद में और मुशावरत चौक में । इन ब्लास्ट में 32 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे । इस मामले की जांच कर रही एटीएस ने 13 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था । नुरुल हुडा समसुदा, रईस अहमद रज्जाब अली मंसूरी, डॉ. सलमान फ़ारसी अब्दुल, डॉ. फरोग इक़बाल अहमद मगदुमि, शेख मोहम्मद अली आलम अनामत अली शेख, आसिफ खान बसीर खान, मोहम्मद ज़ाहिद अब्दुल मजीद अंसारी और अब्रार अहमद गुलाम अहमद और शब्बीर अहमद मसिउल्लाह जिन्हें न्यायालय बरी कर चुका है क्योंकि यह केस ATS से सीबीआई को दे दिया गया और सीबीआई ने इस केस को इतना कमजोर कर दिया था की न्यायलय को बरी करना पड़ा । इनमें शब्बीर की मौत हो चुकी है। वहीं रियाज अहमद सफी अहमद, इस्तीयाक अहमद मोहम्मद इसाक, मुन्नवर अहमद मोहम्मद अमीन और मुज़म्मिल को कभी पकड़ा नहीं जा सका। 8 सितम्बर 2006 को हुए बम्ब ब्लास्ट की जांच तत्कालीन ATS प्रमुख श्री के. पी. रघुवंशी ने की थी और उक्त मुस्लिम आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था।
चूँकि मालेगांव में 8 सितंबर 2006 को हुए बम्ब ब्लास्ट में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का हाथ था और उसकी चाल यह थी कि ऐसा करने से जब मुसलमानों को भारी नुकसान होगा तो मुसलमान हिन्दुओं पर हमले करेंगे और पूरा देश साम्प्रदायिकता की आग में झोंक देने ऐसी ISI की योजना थी ।
दो साल उपरान्त 29 सितम्बर 2008 को नासिक जिले के मालेगांव में दुबारा बम्ब विस्फोट होता है और तभी एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार का बयान आता है की इस बम्ब ब्लास्ट में हिन्दू संगठनों का हाथ हो सकता है फिर उसके तुरंत बाद कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह भी सक्रिय होकर इस ब्लास्ट में हिन्दुओं का ही हाथ होनें की पूर्ण पुष्टि करते हैं ।
जनवरी 2008 में महाराष्ट्र ATS प्रमुख श्री के. पी. रघुवंशी को ISI और दाउद के लोगों द्वारा लाबिंग के कारण हटा दिया गया । IPS पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के लिए ऑस्ट्रिया में सात साल तक अपनी सेवाएँ देने के बाद महाराष्ट्र कैडर में वापस लौटे थे । इसके तत्काल बाद ही जनवरी में उन्हें मुस्लिम संगठनों की सलाह अनुसार एटीएस प्रमुख बनाया गया था ।
हेमंत करकरे अतिवादी मुसलमानों, ISI, दाउद के अलावा शरद पवार एवं दिग्विजय सिंह जैसे लोगों के आंखों के तारे भी थे और 29 सितम्बर 2008 को मालेगांव में ही बम्ब फटना दर्शाता है कि कैसे कांग्रेस और एनसीपी जैसी पार्टी और उसके नेता ISI और दाउद इब्राहीम जैसे लोगों के हाथों में खेलकर बेगुनाह हिन्दू महासभा, अभिनव भारत एवं अन्य हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं को झूठा फंसा कर हिन्दू या भगवा आतंकवाद के नाम का आविष्कार किया जाता है और तो और तत्कालीन हिन्दू महासभा एवं अभिनव भारत की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती हिमानी सावरकर को भी जांच के नाम पर तंग किया गया । इस मामले में मुझसे भी कई बार पूछताछ की गई जबकी मुझे ज्ञात भी न था की ये सब क्या हो रहा है ।
हेमंत करकरे ने साध्वी प्रज्ञा को पहले ही गिरफ्तार कर लिया था जबकी उनकी गिरफ्तारी 23 अक्तूबर 2008 को दिखाई गई जिससे उन पर झूठे आरोप लगाए जा सकें व फर्जी सबूत दिखाए जा सकें जिसमे उनकी मोटरसाइकिल भी थी। उसके बाद सेना के अधिकारी कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, सेवानिवृत अधिकारी मेजर रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, दयानंद पाण्डेय, समीर चतुर्वेदी इत्यादि की गिरफ्तारी की गई, कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित को छोड़कर ये सभी हिन्दूनिष्ठ कार्यकर्ता हिन्दू महासभा के अनुषांगिक संगठन अभिनव भारत से जुड़े थे ।
हेमंत करकरे ने अपने आकाओं को प्रसन्न करने के लिए साध्वी प्रज्ञा सहित कर्नल श्रीकान्त प्रसाद पुरोहित व अन्य हिन्दूनिष्ठ कार्यकर्ताओं पर बहुत अत्याचार किये । पाकिस्तान में बैठा दाउद इब्राहीम अपने मंसूबों में कामयाब हो गया था और हिन्दू अपने ही राष्ट्र में लाचार थे । फिर ISI और पाकिस्तान के आतंकवादियों की शह पर 26 नवम्बर 2008 को मुंबई पर हमला किया जाता है जिसमे हेमंत करकरे की मृत्यु हो जाती है। हेमंत करकरे मुंबई हमले में उसी तरह मारा जाता है जैसे पृथ्वीराज चौहान को पराजित करने के लिए जब कन्नौज के राजा जयचंद मोहम्मद गौरी को हिन्दुस्थान बुलाता है तब युद्ध के बाद वापस काबुल जाते हुए जयचंद को मार देता है उसी तरह पाकिस्तान का आतंकवादी हेमंत करकरे को मार देता है !
इस हमले के बाद कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने बयान दिया था की 26 नवंबर, 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले से 2 घंटे पहले हेमंत करकरे ने उन्हें फोन किया था और करकरे ने कहा था कि मालेगांव धमाके की जांच का विरोध कर रहे लोगों से उनकी जान को खतरा है। हेमंत करकरे की पत्नी कविता करकरे ने कहा था कि उनके पति की हत्या के पीछे सिर्फ पाकिस्तान है और इसमें हिंदू संगठनों का हाथ बताना या उनसे जोड़कर देखना गलत है। इतना ही नहीं, कविता करकरे ने दिग्विजय के बयान का हवाला देते हुए यह भी कहा था कि ऐसे बयान सिर्फ पाकिस्तान को फायदा पहुंचाएंगे । तब कविता करकरे ने दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं । कविता ने इस बात से इनकार किया कि हेमंत और दिग्विजय सिंह के बीच कोई बातचीत हुई थी।
उक्त तथ्यों से सिद्ध होता है की मालेगांव में हुए 8 सितंबर 2006 एवं 29 सितम्बर 2008 बम्ब विस्फोटों में पाकिस्तान के साथ मात्र मुस्लिम आतंकवादियों का हाथ था और उसके उपरांत मुंबई में 26 नवम्बर 2008 को भी हमले में पाकिस्तानी मुस्लिम आतंकवादियों का हाथ था और अमेरिका की जेल में बंद आतंकवादी डेविड हेडली भी हमले से पूर्व मुंबई की रेकी करके जा चुका था । मुस्लिम आतंकवादियों ने जो किया सो किया लेकिन सबसे बड़े जयचंद तो भारत के शरद पवार एवं दिग्विजय सिंह जैसे नेता हैं जो की एक प्रकार से पाकिस्तान का ही साथ दे रहे थे । यहाँ तक की महाराष्ट्र पुलिस में रहे कुछ मुस्लिम पुलिस अधिकारी ISI और दाउद इब्राहीम की ही भाषा का प्रयोग करते रहे और मुंबई हमलों को भी हिन्दू संगठनों का हाथ बताते रहे ।
कुछ दिनों पूर्व विडियो कांफ्रेंस के माध्यम से डेविड हेडली द्वारा दिए गए बयान से यह भी सिद्ध हो गया था की समझौता ट्रेन एक्सप्रेस में भी पाकिस्तान का ही हाथ था और उसका भी ठीकरा कांग्रेस द्वारा हिन्दुओं पर ही डाला गया और स्वामी असीमानंद जी को उक्त केस में जेल भेजा गया ।
यह सब खेल पाकिस्तान कि शह पर होता रहा और परोक्ष रूप से कांग्रेस और एनसीपी के नेता भी इस खेल से जुड़ गए और भारत के हिन्दुओं को बदनाम किया गया। मित्रों, यदि मेरे हाथ में सत्ता होती तो कांग्रेस और एनसीपी के सभी बड़े नेताओं को राष्ट्रद्रोह में गिरफ्तार करके फांसी लगवा देता जैसे आज बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लाम के लोगों को 1971 के नरसंहार के आरोप में फांसी पर लटकाया जा रहा है ।
मैं अपने इस आलेख द्वारा भारत सरकार से अनुरोध करता हूँ की कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं को राष्ट्रद्रोह के आरोप में गिरफ्तार करके मुकदमा चलाया जाय और इन्हें फांसी पर तत्काल लटकाया जाए ताकि भविष्य में इस तरह का राष्ट्रदोह करनें का कोई दु:स्साहस करनें की हिमाकत न कर सके व आनें वाले पीढि़यों के लिए एक सर्वोत्तम उदाहरण बन सके।
इससे पहले 8 सितंबर, 2006 को मालेगांव में 4 ब्लास्ट हुए थे। इनमें तीन हमीदिया मस्जिद में और मुशावरत चौक में । इन ब्लास्ट में 32 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे । इस मामले की जांच कर रही एटीएस ने 13 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था । नुरुल हुडा समसुदा, रईस अहमद रज्जाब अली मंसूरी, डॉ. सलमान फ़ारसी अब्दुल, डॉ. फरोग इक़बाल अहमद मगदुमि, शेख मोहम्मद अली आलम अनामत अली शेख, आसिफ खान बसीर खान, मोहम्मद ज़ाहिद अब्दुल मजीद अंसारी और अब्रार अहमद गुलाम अहमद और शब्बीर अहमद मसिउल्लाह जिन्हें न्यायालय बरी कर चुका है क्योंकि यह केस ATS से सीबीआई को दे दिया गया और सीबीआई ने इस केस को इतना कमजोर कर दिया था की न्यायलय को बरी करना पड़ा । इनमें शब्बीर की मौत हो चुकी है। वहीं रियाज अहमद सफी अहमद, इस्तीयाक अहमद मोहम्मद इसाक, मुन्नवर अहमद मोहम्मद अमीन और मुज़म्मिल को कभी पकड़ा नहीं जा सका। 8 सितम्बर 2006 को हुए बम्ब ब्लास्ट की जांच तत्कालीन ATS प्रमुख श्री के. पी. रघुवंशी ने की थी और उक्त मुस्लिम आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था।
चूँकि मालेगांव में 8 सितंबर 2006 को हुए बम्ब ब्लास्ट में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का हाथ था और उसकी चाल यह थी कि ऐसा करने से जब मुसलमानों को भारी नुकसान होगा तो मुसलमान हिन्दुओं पर हमले करेंगे और पूरा देश साम्प्रदायिकता की आग में झोंक देने ऐसी ISI की योजना थी ।
दो साल उपरान्त 29 सितम्बर 2008 को नासिक जिले के मालेगांव में दुबारा बम्ब विस्फोट होता है और तभी एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार का बयान आता है की इस बम्ब ब्लास्ट में हिन्दू संगठनों का हाथ हो सकता है फिर उसके तुरंत बाद कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह भी सक्रिय होकर इस ब्लास्ट में हिन्दुओं का ही हाथ होनें की पूर्ण पुष्टि करते हैं ।
जनवरी 2008 में महाराष्ट्र ATS प्रमुख श्री के. पी. रघुवंशी को ISI और दाउद के लोगों द्वारा लाबिंग के कारण हटा दिया गया । IPS पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के लिए ऑस्ट्रिया में सात साल तक अपनी सेवाएँ देने के बाद महाराष्ट्र कैडर में वापस लौटे थे । इसके तत्काल बाद ही जनवरी में उन्हें मुस्लिम संगठनों की सलाह अनुसार एटीएस प्रमुख बनाया गया था ।
हेमंत करकरे अतिवादी मुसलमानों, ISI, दाउद के अलावा शरद पवार एवं दिग्विजय सिंह जैसे लोगों के आंखों के तारे भी थे और 29 सितम्बर 2008 को मालेगांव में ही बम्ब फटना दर्शाता है कि कैसे कांग्रेस और एनसीपी जैसी पार्टी और उसके नेता ISI और दाउद इब्राहीम जैसे लोगों के हाथों में खेलकर बेगुनाह हिन्दू महासभा, अभिनव भारत एवं अन्य हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं को झूठा फंसा कर हिन्दू या भगवा आतंकवाद के नाम का आविष्कार किया जाता है और तो और तत्कालीन हिन्दू महासभा एवं अभिनव भारत की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती हिमानी सावरकर को भी जांच के नाम पर तंग किया गया । इस मामले में मुझसे भी कई बार पूछताछ की गई जबकी मुझे ज्ञात भी न था की ये सब क्या हो रहा है ।
हेमंत करकरे ने साध्वी प्रज्ञा को पहले ही गिरफ्तार कर लिया था जबकी उनकी गिरफ्तारी 23 अक्तूबर 2008 को दिखाई गई जिससे उन पर झूठे आरोप लगाए जा सकें व फर्जी सबूत दिखाए जा सकें जिसमे उनकी मोटरसाइकिल भी थी। उसके बाद सेना के अधिकारी कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, सेवानिवृत अधिकारी मेजर रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, दयानंद पाण्डेय, समीर चतुर्वेदी इत्यादि की गिरफ्तारी की गई, कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित को छोड़कर ये सभी हिन्दूनिष्ठ कार्यकर्ता हिन्दू महासभा के अनुषांगिक संगठन अभिनव भारत से जुड़े थे ।
हेमंत करकरे ने अपने आकाओं को प्रसन्न करने के लिए साध्वी प्रज्ञा सहित कर्नल श्रीकान्त प्रसाद पुरोहित व अन्य हिन्दूनिष्ठ कार्यकर्ताओं पर बहुत अत्याचार किये । पाकिस्तान में बैठा दाउद इब्राहीम अपने मंसूबों में कामयाब हो गया था और हिन्दू अपने ही राष्ट्र में लाचार थे । फिर ISI और पाकिस्तान के आतंकवादियों की शह पर 26 नवम्बर 2008 को मुंबई पर हमला किया जाता है जिसमे हेमंत करकरे की मृत्यु हो जाती है। हेमंत करकरे मुंबई हमले में उसी तरह मारा जाता है जैसे पृथ्वीराज चौहान को पराजित करने के लिए जब कन्नौज के राजा जयचंद मोहम्मद गौरी को हिन्दुस्थान बुलाता है तब युद्ध के बाद वापस काबुल जाते हुए जयचंद को मार देता है उसी तरह पाकिस्तान का आतंकवादी हेमंत करकरे को मार देता है !
इस हमले के बाद कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने बयान दिया था की 26 नवंबर, 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले से 2 घंटे पहले हेमंत करकरे ने उन्हें फोन किया था और करकरे ने कहा था कि मालेगांव धमाके की जांच का विरोध कर रहे लोगों से उनकी जान को खतरा है। हेमंत करकरे की पत्नी कविता करकरे ने कहा था कि उनके पति की हत्या के पीछे सिर्फ पाकिस्तान है और इसमें हिंदू संगठनों का हाथ बताना या उनसे जोड़कर देखना गलत है। इतना ही नहीं, कविता करकरे ने दिग्विजय के बयान का हवाला देते हुए यह भी कहा था कि ऐसे बयान सिर्फ पाकिस्तान को फायदा पहुंचाएंगे । तब कविता करकरे ने दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं । कविता ने इस बात से इनकार किया कि हेमंत और दिग्विजय सिंह के बीच कोई बातचीत हुई थी।
उक्त तथ्यों से सिद्ध होता है की मालेगांव में हुए 8 सितंबर 2006 एवं 29 सितम्बर 2008 बम्ब विस्फोटों में पाकिस्तान के साथ मात्र मुस्लिम आतंकवादियों का हाथ था और उसके उपरांत मुंबई में 26 नवम्बर 2008 को भी हमले में पाकिस्तानी मुस्लिम आतंकवादियों का हाथ था और अमेरिका की जेल में बंद आतंकवादी डेविड हेडली भी हमले से पूर्व मुंबई की रेकी करके जा चुका था । मुस्लिम आतंकवादियों ने जो किया सो किया लेकिन सबसे बड़े जयचंद तो भारत के शरद पवार एवं दिग्विजय सिंह जैसे नेता हैं जो की एक प्रकार से पाकिस्तान का ही साथ दे रहे थे । यहाँ तक की महाराष्ट्र पुलिस में रहे कुछ मुस्लिम पुलिस अधिकारी ISI और दाउद इब्राहीम की ही भाषा का प्रयोग करते रहे और मुंबई हमलों को भी हिन्दू संगठनों का हाथ बताते रहे ।
कुछ दिनों पूर्व विडियो कांफ्रेंस के माध्यम से डेविड हेडली द्वारा दिए गए बयान से यह भी सिद्ध हो गया था की समझौता ट्रेन एक्सप्रेस में भी पाकिस्तान का ही हाथ था और उसका भी ठीकरा कांग्रेस द्वारा हिन्दुओं पर ही डाला गया और स्वामी असीमानंद जी को उक्त केस में जेल भेजा गया ।
यह सब खेल पाकिस्तान कि शह पर होता रहा और परोक्ष रूप से कांग्रेस और एनसीपी के नेता भी इस खेल से जुड़ गए और भारत के हिन्दुओं को बदनाम किया गया। मित्रों, यदि मेरे हाथ में सत्ता होती तो कांग्रेस और एनसीपी के सभी बड़े नेताओं को राष्ट्रद्रोह में गिरफ्तार करके फांसी लगवा देता जैसे आज बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लाम के लोगों को 1971 के नरसंहार के आरोप में फांसी पर लटकाया जा रहा है ।
मैं अपने इस आलेख द्वारा भारत सरकार से अनुरोध करता हूँ की कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं को राष्ट्रद्रोह के आरोप में गिरफ्तार करके मुकदमा चलाया जाय और इन्हें फांसी पर तत्काल लटकाया जाए ताकि भविष्य में इस तरह का राष्ट्रदोह करनें का कोई दु:स्साहस करनें की हिमाकत न कर सके व आनें वाले पीढि़यों के लिए एक सर्वोत्तम उदाहरण बन सके।
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Reviewed by rainbownewsexpress
on
2:15:00 pm
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