
पहले मौसम के अलग - अलग पैमाने थे। देश के कुछ हिस्सों में भीषण ग र्मी और सर्दी दोनों पड़ती। जबकि कुछ हिस्सों में दोनों सहने लायक।मेरी जन्मभूमि और कर्मभूमि में यह अंतर हमेशा दिखाई देता रहता। लेकिन कुदरत जैसे अब इस मामले में साम्यवाद लाने पर आमादा है। मौसम की भृकुटि अब हर जगह एक समान तनी रहती है। कम से कम ग र्मी के मामले में तो प्रकृति का भेदभाव खत्म होता नजर आ रहा है। देवभूमि उत्तरांचल में भीषण आग का कहर तो लातूर में पानी का अनमोल बनना ही नहीं देखा।
इस साल भीषण ग र्मी के दौरान जीवन संध्या की दहलीज पर पहुंच चुके बुर्जुर्गों को हर दिन की सुबह से ही पानी की तलाश में इधर - उधर भटकता देख जीवन से ही वितृष्णा सी होने लगी। लेकिन इसी बीच दूसरी दुनिया से छन - छन कर आने वाली खबरें तपते रेगिस्तान में ठंडे पानी की फुहार सी प्रतीत होती रही। गर्मी चाहे जितनी ही क्यों न पड़े देश के क्रिकेट खिलाड़ियों को आइपीएल में पसीना बहाते देख काफी प्रेणा मिलती है। भले ही इस पसीने के एवज में हम जैसे मामूली जीवों को एक धेले का भी लाभ न हो। खैर पहली खबर से पता चला कि राजनेताओं के चहेते एक अभिनेता को अंतर राष्ट्रीय मंच पर देश के प्रतिनिधित्व का मौका मिला है। कुछ लोग इसका स्वागत कर रहे हैं तो कुछ नाक - भौं भी सिकोड़ रहे हैं। यह विडंबना ही है कि हर सीट पर अपने - अपने क्षेत्र के कथित सफल यानी चुनिंदा ताकतवर लोगों का ही कब्जा होता जा रहा है।
अभी कुछ दिन पहले एक केंद्रीय संस्थान में सरकार ने एक गुमनाम से कलाकार को कोई पद दे दिया। तो इस पर भी बड़ा बवाल हुआ।महीनों तक लगातार विरोध - प्रदर्शन होते रहे। लेकिन मेरी नजर तो प्रदर्शन से ज्यादा उस बेचारे कलाकार की हालत पर ही टिकी रही जो करीब चार दशक पहले एक धारावाहिक से थोड़ा - बहुत चर्चित हुआ था। हालांकि धारावाहिक खत्म होने के बाद वह लगभग गुमनाम ही रहा। अरसे बाद बेचारे को एक पद क्या मिला चारो तरफ जबरदस्त प्रदर्शन शुरू हो गया। एक और खबर आई कि एक हीरो अपनी ग र्भवती पत्नी को लेकर लॉंग ड्राइव पर निकल चुका है। तो दूसरे में बताया गया कि कुछ सेलीब्रेटीज अपने - अपने बाल - बच्चों के साथ छुट्टियां मनाने विदेश के मनोरम स्थलों में पहुंच चुके हैं। वहीं से उन लोगो ने अपने चाहने वालों के लिए कुछ तस्वीरें भी पोस्ट की है।

-तारकेश कुमार ओझा
इक जग-दुनिया बहुतेरे...!!
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1:32:00 pm
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