लखनऊ। केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद ने एलोपैथिक डाक्टरों के लिए होम्योपैथी का ब्रिज कोर्स तैयार किए जाने के आयुष मंत्रालय के प्रस्ताव से असहमति व्यक्त की है। यह जानकारी देते हुए परिषद के सदस्य डा0 अनुरुद्ध वर्मा ने बताया कि आयुष मंत्रालय ने परिषद से एलोपैथिक चिकित्सकों के सम्वेदनीकरण के लिए होम्यापैथी का शार्टटर्म ब्रिज कोर्स जिसमे पाठ्यक्रम की अवधि, अध्ययन विषय वस्तु, अर्हता, वैधानिक स्थिति, चिकित्सा अभ्यास आदि शमिल हैं, तैयार करने का अनुरोध किया था परन्तु परिषद ने व्यापक विचार विमर्श के बाद होम्योपैथी एवं उसके चिकित्सकों के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए इस तरह के प्रस्ताव तैयार करने से असहमति व्यक्त की है।
उन्होने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व भी इसी तरह का प्रस्ताव आया था जिसका पूरे देश में होम्योपैथी जगत द्वारा व्यापक विराध हुआ था और परिषद ने भी इस प्रस्ताव को खारिज़ कर दिया था जिससे यह प्रस्ताव मुर्त रुप नहीं ले पाया था। उन्होने बताया कि एलोपैथी एवं होम्योपैथी अलग अलग चिकित्सा पद्धतियां हैं जिनका दर्शन एवं सिद्धान्त अलग-अलग है इस लिए किसी भी प्रकार के शार्ट टर्म कोर्स से होम्योपैथी जैसे विस्तृत चिकित्सा विज्ञान की शिक्षा देना सम्भव नही है और इस कोर्स के बाद होम्योपैथी की प्रैक्टिस की अनुमति देने का कोई औचित्य नही है।
इस प्रकार के कोर्स से होम्योपैथी के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा। उन्होने कहा कि यदि एलोपैथी कि चिकित्सक होम्योपैथी का कोर्स करना ही चाहते है तो उन्हे साढ़े पाँच वर्षीय बी.एच.एम.एस. कोर्स करना चाहिए। उन्होने सरकार से इस तरह के प्रस्ताव लागू करने के स्थान पर सरल, सुलभ, दुष्परिणामरहित कम खर्चीली होम्योपैथी पद्धति के सर्वांगीण विकास के लिए कदम उठाना चाहिए।
केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद आयुष मंत्रालय के प्रस्ताव से असहमत
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