बदलते मौसम में सेहत का ध्यान रखेगी होम्योपैथी

जाडे के स्वास्थ्य के लिये लाभप्रद मौसम के बाद जब जाडा समाप्त हो रहा हो और गर्मी का मौसम दस्तक दे रहा हो तब अस्पतालों मेें भीड़ बढ़ जाती है। इस बदलते मौसम में ज्यादातर लोग वायरल फीवर, सर्दी जुकाम, फ्लू, खांसी, गले की खराश, थकान आदि से पीड़ित रहते हैं। परन्तु यदि हम थोड़ी सी सावधानी रखे खाने-पीने पर नियंत्रण रखें तथा होम्योपैथिक दवाइयों का प्रयोग करें तो इस मौसम की बीमारियों से बचा जा सकता है।
जाड़े के बाद जब गर्मी का मौसम शुरू हो रहा होता है वातावरण का तापक्रम घटता-बढ़ता रहता है, रात में ठन्ड एवं दिन में मौसम गर्म रहता है यह मौसम वायरस एवं जीवाणु के फैलने के लिये बहुत ही मुफीद रहता है। वायरस बुखार में तेज बुखार, आंख से पानी, आंख लाल, शरीर में दर्द, एंेठन, कमजोरी, कब्ज या दस्त, चक्कर आना, कभी-कभी मिचली के साथ उल्टी भी हो सकती है तथा कंपकपी के साथ बुखार चढ़ना आदि लक्षण हो सकते हैं।
सामान्यतया वह बुखार तीन से सात दिन में ठीक हो जाता है परन्तु कभी-कभी यह बुखार ज्यादा दिन तक भी चल सकता है। इस बुखार से बचाव के लिये आवश्यक है कि साथ सफाई रखें, तथा रोगी से सीखे सम्पर्क से बचें, रोगी को हवादार कमरे में रखें तथा सुपाच्य भोजन दें। यदि बुखार ज्यादा हो तो साधारण साफ पानी से पट्टी करें। वायरल बुखार के उपचार में जहां ऐलोपौथिक दवाइयां अपनी असमर्थता जाहिर कर देती हैं वहीं पर होम्योपैथिक दवाइयां पूरी तरह रोगी को ठीक कर देती है वायरल फीवर के उपचार में जेल्सीमियम, डल्कामारा, इपीटोरियम पर्फ, बेलाडोना, यूफ्रेसिया, एलीयम सिपा, एकोनाइट आदि दवाइयां बहुत ही लाभदायक हैं।
इस बदलते मौसम में फ्लू, जुकाम, सर्दी, खांसी की शिकायत बहुत होती है जो कि विषाणुओं एवं जीवाणुओं द्वारा उपरी श्वसन-तंत्र में संक्रमण के कारण होती है जिसके कारण वायरल बुखार से मिलते-जुलते लक्षणों के साथ-साथ अंाख व नाक से पानी आना, आंखों में जलन, एवं छीकें आना आदि लक्षण शामिल है इससे बचाव के लिये इन्फ्ल्युजिनम 200 देकर सर्दी एवं जुकाम से बचा जा सकता है इसके उपचार में लक्षणों के आकार पर होम्योपैथिक दवाइयों का प्रयोग किया जा सकता है।
इस बार इस मौसम में स्वाइन फ्लू भी फैल रहा है इसे बचाव के लिये इन्फ्ल्युजिनम 200 एवं आसेनिक एल्ब 200 का तीन दिन तथा प्रयोग करना चाहिये साथ ही रोगी व्यक्ति से सम्पर्क से बचना चाहिये। इस मौसम में पौधों में फूूल आदि ज्यादा होते है जिससे उनसे उड़ने वाले पराग कणों से दमा की शिकायत बढ़ सकती है इस लिये पराग कणों एवं धूल .से बचना चाहियें तथा लक्षणों के आधार पर होम्योपैथिक दवाईयां प्रयोग करनी चाहिए। इस मौसम में होने वाली खांसी में बेलाडोना, ब्रायोनिया, कास्टिकम पल्साटिला, जस्टीशिया, हिपरसल्फ आदि दवाईयां काफी फायदेमंद हो सकती हैं। इस मौसम में जब खांसी का प्रयोग हो तो गरम पानी से इसके अतिरिक्त इस मौसम में गले में खराश एवं दर्द की शिकायत भी रहती है इसके लिए बोलाडोना, फाइटोलक्का, एवं कास्टिकम आदि दवाइयों का प्रयोग लाभ दायक है साथ ही तेज बोलने से बचना चाहिये।
इस मौसम थकान बहुत लगती है, कुछ खाने की इच्छा नही होती है इसके जेल्सीमियम एवं रसटाक्स होम्योपैथिक दवाइयों का प्रयोग किया जा सकता है। इस मौसम में तरल एवं सुपाच्य भोजन करना चाहिए तथा तली-भुनी चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिये कोई समस्या होने पर पडोस के प्रशिक्षित होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि बदलते मौसम में सेहत का ध्यान रखेंगी होम्योपैथी की मीठी गोलियां।
-डा0 अनुरूद्ध वर्मा
एम0डी0 (होम्यो)
21/414, इन्दिरा नगर, लखनऊ।
मो0नं0- 9415075558
बदलते मौसम में सेहत का ध्यान रखेगी होम्योपैथी बदलते मौसम में सेहत का ध्यान रखेगी होम्योपैथी Reviewed by rainbownewsexpress on 5:37:00 pm Rating: 5

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