“संस्थानों से छंटते काले बादल”

तथाकथित प्रगतिशील और वेवाक विचारों के नाम पर देश के युवाओं को गुमराह करने वाला जवाहरलाल नेहरु विश्वविधालय का एक छात्र कन्हैया को अंतरिम जमानत देते हुए विद्वान न्यायाधीश ने जो टिप्पणी की वह तथाकथित भाट चारण परमपरा के वाहक शिक्षको और ऐसे गिरोहों के लोगो के गालों पर झन्नाटे दार तमाचा है. उच्चतर संस्थानों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर वैचारिक आतंकवाद के जरिये देश की संप्रभुता पर जो चोट पंहुचाई जा रही है, यदि वह समय रहते नही रोका गया तो इसकी भारी कीमत देश को चुकाना होगा..इस घृणित कुकृत्य के समर्थन में मार्क्स, मुल्ले और मैकाले के ओरसपुत्र जिस संविधान की दुहाई देते नही शर्माते उसी संविधान के तहत इन गिरोहों पर सख्त कारवाई की बात भी की गयी ताकि ये नासूर नही बने. 

कन्हैया की रिहाई को इस तरह से पेश किया गया मानो वह देश की सीमा पर देश की सुरक्षा करते हुए अशोक चक्र प्राप्त किया हो? देश के भाट-चारण के पुरोधाओं ने जिस भाव भंगिमा से इसका स्वागत किया वह जम्मू कश्मीर के घाटी में जब आतंकियो की मौत होती है तो ऐसा ही भाट चारण परम्परा देखने को मिलता, अंतर सिर्फ इतना होता है कि घाटी में आतंकी के जनाजे पर होता है और यहाँ उस प्रवृति के जिन्दा लोगों के आने पर? और ऐसे जलसे में शामिल दोनों जगहों के लोग भारत की संप्रभुता के लिए खतरनाक है?यह प्रवृति देश के युवाओं के लिए खतरनाक है.

जब वह रिहा हुआ और कैम्पस में कदम रखा, उसके लिए तकरीरों को जो व्यवस्था की गयी वह सकारात्मक नही थी,वह उसे ही ऊर्जा दे सकता जिसे भारत की महान संस्कृति से चिढ़ रही है जिसके लिए केसरिया रंग घृणा का रंग है?.ऐसे तबको को प्रोत्साहन देने वाले लोग ही इस देश में गरीबी ,भुखमरी, साम्राज्यवाद, जातिवाद, पूंजीवाद के रक्षक है और देश में आतंक का राज कायम रखना चाहता है .भारत के ऐसे तथाकथित बुधिजीविओ का गिरोह देश के शिरस्थ शैक्षणिक संस्थानों में कुंडली मारे है, जिसके दंश से कभी रोहित वेमुला जैसे छात्र आत्महत्या को मजबूर होते है या कन्हैया जैसा छात्र दिग्भ्रमित हो वामपंथ के चंगुल में फंस देशद्रोही का रास्ता को चुनता है?

आज जब विश्व में वामपंथ अंतिम साँसे ले रहा, वैसे में भारत में, अपनी स्मिता बचाने के लिए वामपंथ अपने पुराने अजेंडे भारत के 16 खंडों में विभाजित करने की चाल को आतंक और नक्सल के गठजोड़ से करना चाहता है और इस कुकृत्य में इसके पालकी ढ़ोने राहुल, केजरीवाल, ओवैसी और नितीश जैसे लोग वेताव है? पश्चिम बंगाल 35 साल तक वामपंथ के कब्जे में रहा आज क्या क्या स्थिति है? .नंदीग्राम जैसे जघन्य नरसंहार  से मानवता सदियो शर्मसार रहेगी जिसकी पटकथा यही वामपंथ ने रची थी ?

15 जून 2004 को गुजरात पुलिस देश के ख़ुफ़िया रिपोर्ट के आधार पर (जो तत्कालीन मुख्यमंत्री गुजरात श्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने के इरादे से राज्य की राजधानी अहमदाबाद में घुसा था) एक मुठभेड़ में चार आतंकी इशरत जहां , जावेद गुलाम शेख, अमज़द अली राना और जीशान जौहर को मार गिराया था.उस समय के इस घटना पर देश में जो स्यापा मचा आज भी ज़ारी है .इन आतंकियो के लिए देश में सेकुलर और डालर की रोटी खाने वाले गिरोहों का स्यापा शुरू हुआ किसी ने इन आतंकियो के नाम पर अम्बुलेंस तो नीतीशजी इसे बिहार की बेटी कहते नही शरमाये थे. वही हाल आज कन्हैया के संदर्भ में भी है. बिहार में लालूजी के जंगलराज को अपने कंधे पर ढ़ोने वाले वर्तमान मुख्यमंत्री नितीश कुमार के अनुसार-“कन्हैया को गलत तरीके से फंसाया गया है.कन्हैया एक देशभक्त और होनहार छात्र है वह कभी देश विरोधी वयां नहीं दे सकता है.मै उसे दिल से चाहता हूँ”. आतंकी इशरत पर जो रोटी सेकता हो वह आज कन्हैया के कृत्यों पर बिहार का लिट्टी चोखा बना रहा तो आश्चर्य कैसा? 

रिहाई के जश्न में हुए जलसे में उसने अपने गिरोहों को संवोधित करते हुए कहा- तुम कितने रोहित मारोगे हर घर से रोहित निकलेगा.तो रोहित को आत्महत्या तक ले जाने वाला कौन था? इस प्रश्न का जबाव रोहित ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है और उसके आत्महत्या का मूल कारण वामपंथ की “येचुरी विचार” जिसके पालकी ढ़ोने कन्हैया बंगाल जाने वाला है था. रोहित ने आखिर क्यों वामपंथ का यूनियन एसएफआई से अपने आप को अगल कर आत्महत्या का रास्ता चुना? जिस रोहित की लाश पर वामपंथ अपना झंडा गाड़ने का कुत्सित प्रयास किया उसी के लाश पर अब सेकुलरों और अलगाववादीओ के आँखों का तारा राजनीति का पाठ शुरू किया है? 

उसने कहा-“काले बादल है जो जल्द छंट जायेंगे भारी वारिश होगी और धरती सोना उगलेगा और लोगो का पेट भरेगा”. एक दम सही जवाहरलाल नेहरु विश्वविधालय में मार्क्स, मुल्ला और मैकाले की तिकड़ी से जो काले बादल भारत के विश्वविधालयों में कांग्रेसियो के सहयोग से छाये हुए थे वे अब धीरे धीरे छंट रहे है. अब इन विश्वविधालयों में भी भारी वारिश होगी. जिसकी फसल देशभक्ति से ओतप्रोत होगी. जहां भारत के टुकड़े करने वालों की नही भारत को अखंड करने वाले देशभक्तों को फसले होंगी. किन्तु उन फसलों पर कभी देशद्रोही टिड्डो का नापाक आक्रमण नही होगा. मकबूल, अफज़ल या याकूब जैसे आतंकियो की मौत को अब इन विश्वविधालयों में “न्यायिक-हत्या” कहने वाला देशद्रोही, गद्दार नही होगा और ना ही हमारे वीर जवानों की शहादत पर ऊँगली उठानेवाला देश घातक की फसल इन विश्वविधालयों में पनेपगा

तथाकथित प्रगतिशील और वेवाक विचारों के नाम पर देश के युवाओं को गुमराह करने वाला जवाहरलाल नेहरु विश्वविधालय के जिस छात्र नेता के नाम पर कन्हैया को स्टार बनाया जा रहा उसी विश्वविधालय में अधिकाँश छात्रों ने इसे सिरे से खारिज कर रखा है. लगभग 7500 विद्यार्थियो वाला विश्वविधालय के मात्र 1029 छात्र इसके समर्थन में थे यानी लगभग 85% छात्र इसके विष भरे भाव के कारण इससे दूर रहना उचित समझा.यदि उस विश्वविधालय के 85% छात्र कन्हैया को खारिज कर दिया उसके बाद भी लोग इसके दूषित मानसिकता को प्रोत्साहन देते नही शर्मा रहे ?एक सड़ी मछली तालाब को बदबूदार बनाने के लिए काफी होती है और यही हाल आज जवाहरलाल नेहरु विश्वविधालय सहित अनेक शिक्षण संस्थानों का है. इसी विश्वविद्यालय के स्कुल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज की प्रोफेसर निवेदिता मेनन का मानना है की भारत कश्मीर पर गैरकानूनी ढंग से कब्ज़ा कर रखा है. अपने विदेशी आकायो और अलगाववादीयों के शह पर जिस कश्मीर की आजादी की बात करते हो वहाँ आज भी महिलाओं पर शरीयत कानून लागू है. धारा ३७० के कारण जम्मू कश्मीर की महिलायों को आतंकी जबरदस्ती पाकिस्तानियो से शादी करने को मजबूर करता है ताकि उन आतंकियो को भारतीय नागरिकता मिले जबकि इसी धारा के कारण यदि कश्मीरी महिला किसी भारतीय से शादी कर ले तो उसकी जम्मू कश्मीर की नागरिकता समाप्त हो जाती है क्या कन्हैया या उसके पालकी ढ़ोने वाले भाटों ने कभी इसके लिए आन्दोलन चलाया ? जिस कश्मीर के एक भाग पर पाकिस्तान ने चीन ने बलात कब्जा कर रखा है उसके लिए इन गिरोहों ने कभी कोई परिचर्चा भी कहीं की है ? उत्तर स्पस्ट है कभी नही ? .जिस संस्थान में ऐसे घटिया सोच और विकृत मानसिकता का शिक्षक होगा वहाँ कन्हैया जैसा छात्र ही उत्पन्न होगा?शर्म है की ऐसे बौद्धिक आतंकियो के अड्डे भारत के विश्वविधालय बने है?

जिस कांग्रेसियो ने भारत में गरीबी ,भुखमरी साम्राज्यवाद जातिवाद पूंजीवाद ..जैसे समस्याओं से देश को पीड़ित रखा है उसके राजकुमार के शरण में क्यों? क्या ये समस्याए पिछले 18 माह की है ?.ये समस्या कांग्रेस और वामपंथ के गर्भनाल से जुड़ा है ? इसे कैसे हटायेंगे इसका कोई ब्लूप्रिंट ना वामपंथ के पास है ना कांग्रेस के पास और ना ही कन्हैया ने अपने रिहाई जश्न में बताया ? 22 दिन के हिरासत में ही आपको देश के कानून पर भरोसा हो गया है. तब अफज़ल-मकबूल जैसे दरिंदो पर सहानुभूति क्यों ? पुलिसवाला भी अब अच्छा लगता है. फिर छतीसगढ़ में वामपंथियो के हाथों शहीद हुए हमारे जवानो पर इसी जवाहरलाल नेहरु विश्वविधालय में जश्न क्यों?

यह भारत में नेहरूवियन शिक्षा का दंश है की भारतीय आतंकियो, नक्सलीओं और गद्दारों को भी महिमामंडित करने से नही चुकती है?यही कन्हैया के रिहाई के बाद देखने को मिला. तथाकथित बुधिजीविओ और वामपंथी भांडों का गिरोह और मिडिया के दलालों ने उसके चरणरज को पी अपने को धन्य समझा और रही सही रजजल राहुल केजरीवाल ओवैसी और नितीश जैसे लोग माथे पर लगा अपने को महान सेकुलर के रूप में प्रस्तुत करने की चेष्टा की?स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ आम लोगो को मिले इसके लिए यदि विश्वविधालय काम करता तो आज देश की स्थिति कुछ और होती ? लाल सलाम सिर्फ और सिर्फ इस देश की धरती को गरीबो के खूनो से लाल कर ज्योति वसु, करात और येचुरी जैसे लोगों को मालोमाल किया है.09 फरवरी की घटना ने देश की आँखे खोल दी है.अब देश के संस्थानों पर छाये काले बाद्ल छट रहे है और एक नया सूरज, नयी भारत की युवा तस्वीर, प्रस्तुत करने को वेकरार है जिसका एक ही उदेश्य और मन्त्र होगा “एक भारत-श्रेष्ठ भारत”.और जहां के युवा भारत माता की जय ,वन्दे मातरम गर्व के साथ सामूहिक उद्घोष कर विश्व को शान्ति और प्रगति का सन्देश से प्रकाशित करेगा . 
. 
-संजय कुमार आज़ाद
शीतल अपार्टमेंट ; निवारणपुर ;रांची -834002
 Email-azad4sk@gmail.com, CELL-09431162589
06 MARCH 2016
“संस्थानों से छंटते काले बादल” “संस्थानों से छंटते काले बादल” Reviewed by rainbownewsexpress on 2:54:00 pm Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

Blogger द्वारा संचालित.