-डॉ0 भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी/ पाठको! मुझे ऐसे लोग (स्त्री-पुरूष) पसन्द हैं जिनके शरीर में माँस हो- यानि स्वस्थ लोग। कृपया यह मत समझिए कि मैं मोटे लोगों को पसन्द करता हूँ। माना कि मैं काफी मोटा हूँ शायद इसलिए माँसल एवं गुदाज शरीर वालों को पसन्द करता हूँ- ऐसा नहीं है। मुझे भी अच्छी ‘बॉडी फिगर’ वाले लोग अच्छे लगते हैं। मेरी ‘वो’ हैं- उनपर बाबा रामदेव जी के योगा का भूत सवार है- हमेशा ‘स्लिम’ (छरहरा) बनने की ही धुन में रहती हैं। वो हमेशा योगागुरू की सी0डी0 देखा करती है और उर्मिला मातोण्डकर, करीना कपूर (बेबो), शिल्पा शेट्टी, ईशा कोप्पिकर, राखी सावंत की तरह बनना चाहती हैं जबकि मुझे रानी मुखर्जी (वर्तमान की) पूर्व की सिने तारिकाएँ आशा पारेख, हेमा मालिनी और योगिता बाली जैसी एकहरे एवं दोहरे ‘बॉडी फिगर’ वाली सिने तारिकाएँ काफी पसन्द हैं। इन सिने तारिकाओं को देखकर लगता है कि ये सभीं स्वस्थ हैं।
बहरहाल ‘वो’ की सोच को क्या कहूँ-? खैर मैं किसी की सोंच पर चिन्ता क्यों करूँ? भइया- बहनों भगवान ने शरीर बनाया है तो उसमें एकाध किलोग्राम माँस तो होना ही चाहिए ताकि देखने से लगे कि आप मानव हैं। हमारे जमाने की सिनेतारिकाएँ मीना कुमारी, मधुबाला, साधना, सायरा बानोे भीं अपनी फिगर पर ध्यान देती रहीं लेकिन वहा रे जमाना 21वीं सदी की युवतियाँ कितना ‘स्लिम’ (छरहरा) होना चाहती हैं-? इसे तो करीना कपूर ही बता सकती हैं या फिर मेरी ‘वो’। पहले की युवतियों की ‘फिगर’ 36-24-36 सबसे अच्छी मानी जाती थी, आज की 24-12-24 फिगर बनाने के लिए आतुर इन युवतियों का क्या होगा? अल्लाह ही मालिक हैं। ऊपर से योगागुरू और कतिपय योगा चैनलों पर प्रसारित कार्यक्रमों ने तो ‘जीरो फिगर’ का क्रेज पैदा करके रख दिया है।
इसी ‘जीरो फिगर’ की वजह से मेरी ‘वो’ ने तो एकदम ‘अन्नजल’ ग्रहण करना ही छोड़ दिया है और ‘योगाभ्यास’ में अपने को ‘रत’ कर लिया है। मैं एक दम से ‘लिन-थिन’ (स्लिम) ‘छरहरा’ होता देख अपनी ‘वो’ से कहता हूँ कि यार काहे को तुम यह सब कर रही हो- आखिर मेरे अलावा तुम्हें किसी और को अपनी ‘बॉडी फिगर’ दिखाकर आकर्षित करना है- तुम जैसी हो वैसी ही ठीक हो यदि ‘रानी मुखर्जी’ की तरह हो जावो तो समझों की मेरी तमन्ना पूरी हो गई। करीना कपूर की तरह मत बनो वह तो फिल्म की कहानी के कारण ही ‘जीरो फिगर’ वाली बन गई- तुम्हें किसी फिल्म में काम तो करना ही नहीं है तब काहें को इतनी ‘स्लिम’ छरहरी हो रही हो कि जरा सी तेज हवा चले और तुम किसी अन्य की बाहों में गिरो।
शरीर को कष्ट मत दो मेरी जान वर्ना जीते जी मर जाऊँगा। फिल्मीं एक्ट्रेस की नकल मत किया करो क्योंकि उन्हें पतली और मोटी होने के एवज मंें लाखों/करोड़ों रूपए मिलते हैं। मेरी नसीहत को हमेशा मेरी ‘वो’ ‘ओवरलुक’ करती रहती है। मेरी ‘वो’ की दलील है कि भविष्य का क्या- हो सकता है कि कभीं किसी फिल्म निर्माता/ निर्देशक की नजर में मैं आ ही जाऊँ और ‘बॉडी फिगर’ को लेकर लालीवुड, बालीवुड से लेकर हालीवुड तक हिट हो जाऊँ। तुम क्या समझोगे जमाना ही 24-12-24 फिगर का है- इसी लिए हर लड़की बाबा रामदेव का योगा के माध्यम से फिल्मी तारिकाआंे की फिगर वाली बनना चाहती है। इस मुई रानी मुखर्जी की बात मत किया करो इसकी तो थुल-थुल बॉडी में ही ‘ग्लैमर’ भरा है।
मैं अपनी ‘वो’ से कहता हूँ कि चलो तुम्हारी बात मान लेता हूँ, लेकिन स्लिम फिगर (लिनथिन बॉडी) बनाने के लिए फास्ट रखना, डायटिंग करना यानि पानी पीकर भूखे पेट सोना कहाँ की अक्लमन्दी है। अँग्रेजी की कहावत को भूल रही हो कि ‘हेल्थ इज वेल्थ’ यानि स्वास्थ्य हजार नेमत- प्लीज डोन्ट प्ले विथ यूअर हेल्थ। आई वेग आफ यू- फार दि सेक ऑफ गॉड प्लीज लीव द टशन ऑफ जीरो फिगर। विशेषज्ञों के अनुसार ‘स्लिम फिगर’ के लिए किया जाने वाला हर उपाय अनेकों बीमारियों को जन्म देता है। डाक्टरों ने करीना कपूर (बेबो) की स्टाइल को खतरनाक बताया है।
मैने सुना है कि एक विदेशी मॉडल इसी के चक्कर में परलोक गामी हो गई और मैं तुम्हें ‘खोना’ नहीं चाहता। मैंगजीन्स पढ़ा करो तुम खुद ही जान जावोगी। मेरी ‘वो’ को गुस्सा आ जाता है वह बोल उठती है अपनी नसीहत अपने पास रखो। ‘बॉडी’ मेरी है इसे शून्य करूँ या फिर टुनटुन बन जाऊँ तुम्हें क्या फर्क पड़ता है। वो कहती है कि मुझे शर्म आती है जब तुम्हें देखती हूँ। कभीं देखा था मरहूम थुलथुल साव जलेबी वाले को- शक्ल सूरत उन्हीं की तरह बना रखे हो। बसेनू की तरह गले तक ठूसकर खाना खाना, कुर्सी पर बैठकर कागज पर कलम घिसना और फिर ए0आर0 रहमान के संगीत की तरह नाक बजाकर तानकर सोना। इससे शरीर मोटा नहीं होगा तो और कैसा होगा- तुम्हें भले न हो मगर मुझे ‘फिगर’ को लेकर काफी चिन्ता है।
‘बॉडी फिगर’ को लेकर इस समय मैं और मेरी ‘वो’ हमेशा झगड़ते हैं न ‘वो’ जिद छोड़ने को तैयार है और न मैं अपनी कथित नसीहत देने से बाज आ रहा हूँ। मैं 50, 60, 70, 80 के दशक की सिने तारिकाओं का प्रशंसक रहा हूँ और मेरी ‘वो’ 21वीं सदी की करीना कपूर और आदि इत्यादि की। मुझे भय सताने लगा है कि कहीं बाबा रामदेव का योग, सिने तारिकाओं का बॉडी फिगर मेन्टीनेंस हमारे बीच गहरी खाईं न खोद दे वर्ना मैं और ‘वो’ तिरसठ की जगह छत्तीस के आँकड़े की तरह न हो जाएँ। कोई मेरी ‘वो’ को समझाए। मैं भीं तो सैफ अली/शाहिद कपूर बनना चाहता हूँ और अपनी ‘वो’ को ‘बेबो’ की तरह देखना चाहता हूँ। लेकिन क्या करूँ मैं तो कुछ भीं नहीं बन पाऊँगा शायद मेरी ‘वो’ बेबो बन जाए। मैं सोंच में डूब जाता हूँ और सोंचने लगता हूँ कि मैं और ‘वो’ कब मिले थे- जब वी मेट।
यह व्यंग्यालेख लगभग एक दशक पहले का लिखा है, दीमकों के चाटने से बचे हुए पन्ने संयोग से हाथ लग गए तो उसे मूल रूप से टंकित आपके सम्मुख प्रस्तुत किया जा रहा है। एक बात और मेरी ‘वो’ जो मोटापे को लेकर मुझपर व्यंग्य और ताने कसा करती थीं अब स्वयं भी मेरी ही तरह हो गईं हैं। अब नो चिक-चिक हम मजे से जिन्दगी जी रहे हैं।
-डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी
मेरी ‘वो’ पर बेबो बनने का भूत सवार
Reviewed by rainbownewsexpress
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2:59:00 pm
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